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Showing posts from May, 2019

चुनाव आयोग की किसको है परवाह?

चुनाव आयोग पर देश में चु नाव करवाने की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी है लेकि न 2019 आम चुनाव के पहले आदर्श आचार संहिता के इतने कथित उल्लंघन हु ए हैं कि सवाल पूछे जा रहे हैं कि आखिर आयोग कहां है और क्या उसका हाल किसी ऐसी अप्रभावी संस्था या बि ना दांत के शेर जैसा तो नहीं है जिसकी किसी को परवाह नहीं? वकील प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर पूछा है- "चुनाव आयोग (नरेंद्र) मोदी पर (कथित) प्रोपोगैंडा मूवी की इजाज़त देता है, उन्हें दूरदर्शन और ऑ ल इंडिया रेडियो पर एंटी सैटेलाइट मिसाइल पर चुनावी भाषण देने की इजाज़त देता है, उन्हें रेलवे के दुरुपयोग की इजाज़त देता है लेकिन रफ़ाल पर किताब पर पाबंदी लगा दी जाती है और उसकी कॉपीज़ को अपने कब्ज़े में ले लिया जाता है." कहानियां कई हैं इसलिए एक-एक कर उनकी बात करते हैं. ऐसे वक़्त जब आदर्श आचार संहिता लागू है, नरेंद्र मोदी का महिमामंडन करने वाली एक फिल्म रिलीज़ के लिए तैयार है. 31 मार्च को भाज पा की ओर से "प्रोपोगैंडा टीवी चैनल" नमो टीवी लां च किया गया लेकिन चैनल की कानूनी स्थिति, इसके लाइसेंस पर गंभीर सवाल हैं . केबल ऑपरेटर टाटा स्काई न

चुनाव नतीजों से पहले एनडीए ने क्यों छुआ '36 का आंकड़ा'- नज़रिया

लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले बीजे पी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नेताओं को बीजेपी अध्यक्ष अ मित शाह ने रात्रि भोज पर बुलाया. म क़सद सबका आभार जताने के अलावा यह संदेश देना भी था कि हम साथ-साथ हैं. अमित शाह चुनाव प्रचार के आख़िरी दिन य ह भी कह चुके हैं कि बीजेपी चाहेगी कि इस कुनबे में और दल जुड़ें. चुनाव नतीजे से पहले औपचारिकता के अलावा भी इस बैठक के कई और मक़सद हैं. एक, यह संदेश देने के लिए कि एग्ज़िट पोल भले ही बीजे पी को अकेले ही बहुमत हासिल करने के संकेत दे रहे हों, लेकिन सरकार एनडीए की ही बनेगी. दूसरा मक़सद मतदाताओं को संदेश देना था कि चुनाव के दौरान एनडी ए के घटकों में जो एकता दिखी वह केवल चुनावी दिखावा नहीं थी. बीजेपी इस एक ता को अगले पांच साल भी कायम रखना चाहती है. यही कारण है कि पार्टी ने इस बात को सुनिश्चित किया कि तीन बड़े घटक दलों शिरोमणि अकाली दल, जनता द ल यूनाइटेड और शिवसेना के प्रमुख नेताओं की उपस् थिति हो. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे लंदन में थे और माना जा रहा था कि वे नहीं आएंगे या नहीं आ पाएंगे. वैसे भी उद्धव ठाकरे दिल्ली कम ही आते है

تشيلسي مانينغ: مُسربة الأسرار العسكرية الأمريكية لويكيليكس، تعود إلى السجن

أعيدت المحللة السابقة في الا ستخبارات الأمريكية، تشيلسي مانينغ، إلى السجن إثر رفضها ثاني ة الإدلاء بشهادتها أمام لجنة تحقيق في تسريب المعل ومات إلى موقع ويكيليكس. وقال المحامون المدافعون عنها إنها بقيت قيد الاعتقال بتهمة إهانة القضاء بعد رفضها تقديم شهادة أمام لجنة التحقيق الكبرى. وقد أفرج عن مانينغ الأسبوع الماضي بعد أن قضت عقوبة الحبس لمدة شهرين بسبب رفضها سابقا الإدلاء بالشهادة. وأكدت مانينغ الخميس قبل جلسة الاستماع أنها ما زالت عتد موقفها ولن تدلي بأي شهادة. وقالت في مؤتمر ص حفي أمام المحكمة في ولاية فرجينيا: "لن أمتثل لقرار هيئة المحلفين الكبرى". ونقلت صحيفة واشنطن بوست عنها قولها في المحكمة: "أفضل أن أموت جوعا على أن أغير موقفي بشأن هذه المسألة". وقرر القاضي أنتوني ترينغا، بقاء تشيلسي مانينغ قيد الاعتقال وتغريمها 500 دولار يوميا بعد ثلاثين يوما إن هي واصلت رفض الشهادة. وستبقى في الاعتقال حتى تقرر الإدلاء بشهادتها، أو تنتهي فترة هيئة المحلفين الكبرى بعد 18 شهرا، حسب صحيفة واشنطن بوست. وأدينت م انينغ عام 2013 بالتجسس لأنها سربت معلومات عس كرية لموقع